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| Effects of Environment pollution |
पर्यावरण प्रदूषण (Environment Pollution) :-
पर्यावरण में आवांछनीय पदार्थों जैसे- गैस, धूल, धुआ आदि का मिलना या इनकी मात्रा में बढ़ोत्तरी को पर्यावरण प्रदूषण कहा जाता है। पर्यावरण प्रदूषण कई कारणों से हो सकता है। जैसे- वातावरण में विभिन्न प्रकार की विषैली गैसों के छोड़े जाने के कारण, कारखानों से निकलने वाले धुएँ एवं कार्बनिक पदार्थों को वातावरण में छोड़ने तथा इनसे निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों को नदी, तालाब आदि में बहाने से, वाहनों से निकलने वाले धुएँ आदि से पर्यावरण प्रदूषण होता है। प्रदूषण के कारण कई देशों जैसे- चीन आदि में ऐसी स्थिति निर्मित हो गई है, कि लोगों को घरों से बाहर निकलने के लिए मास्क का उपयोग करना पड़ रहा है। प्रदूषण के कारण हमारे वायुमंडल की परत मोटी होती जा रही है एवं ओज़ोन परत (Ozone Layer) का क्षय हो रहा है, जिसके कारण सूर्य से आने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों (U.V. Rays) के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप ग्लेशियरों पर जमी बर्फ गिर रही है एवं समुद्रों का जलस्तर बढ़ रहा है, फलस्वरूप भविष्य में कई छोटे द्वीपीय देशों के पानी में डूबने की प्रबल संभावना है।
प्रदूषण के प्रकार (Types of pollution) :-
1- वायु प्रदूषण (Air Pollution)
2- मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)
3- जल प्रदूषण (Water Pollution)
4- ध्वनि प्रदूषण (Sound Pollution)
5- रेडियोएक्टिव प्रदूषण (Radioactive Pollution)
प्रदूषण के प्रभाव (Effects of pollution) :-
1- मौसम चक्र में परिवर्तन के कारण फ़सलों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार से नुकसान पहुंच रहा है। जहां एक तरफ सूखा या कम वर्षा के कारण फसल उत्पन्न नहीं हो रही है, वहीं दूसरी तरफ अति वर्षा या ओलावृष्टि के कारण भी हानि हो रही है।
2- वनों एवं वन्य प्राणियों को हानि, वायु प्रदूषण के कारण जंगलों में पेड़ पौधों की विभिन्न प्रजातियाँ नष्ट हो रही है एवं जीव जंतुओं को भी कठिनाइयाँ उत्पन्न हो रही है, जिससे कई प्रजातियाँ या तो विलुप्त हो चुकी है, या विलुप्ति की कगार पर है। इन का विस्तृत वर्णन आईयूसीएन (IUCN) द्वारा जारी रेड डाटा बुक (Red Data Book) की सूची में दिया जाता है।
3- नदियों में प्रदूषण के कारण कई जलीय जीवों की प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं। नदियों में प्रदूषण के कारण झाग बनना, नदियों का सूखना, एल्गी (काई) का जमाव आदि कारण है।
4- ध्वनि प्रदूषण के कारण जानवरों की मौत तथा इंसानों में बहरेपन की समस्या उत्पन्न हो रही है।
पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए कई राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ कार्यरत हैं, जो लोगों को जागरूक करने व प्रदूषण को कम करने का प्रयास कर रही है। प्रदूषण किसी एक देश, व्यक्ति या संस्था की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे विश्व की समस्या है, इसके प्रति हमें हमारी ज़िम्मेदारी को समझना चाहिए और इसके लिए तन-मन से सहयोग करना चाहिए। यह किसी एक के प्रयास से हल नहीं हो सकती, बल्कि सभी को एक साथ मिलकर कदम उठाने होंगे। यदि विश्व का प्रत्येक व्यक्ति या संकल्प ले ले कि “वह प्रदूषण नहीं फैलाएगा या प्रदूषण को कम करने का प्रयास करेगा” तो जल्द ही इस समस्या से निपटा जा सकता है।

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